भारत में आपातकाल कब और क्यों
क्या होता है आपातकाल ?
आपातकाल
यानि विपत्ति या संकट का
काल. भारतीय संविधान में आपातकाल एक
ऐसा प्रावधान है. जिसका इस्तेमाल
तब होता है जब
देश पर किसी आंतरिक,
बाहरी या आर्थिक रूप
से किसी तरह के
खतरे की आशंका होती
है. आपातकाल वो अवधि है
जिसमें सत्ता की पूरी कमान
प्रधानमंत्री के हाथ में
आ जाती है. अगर
राष्ट्रपति को लगता है
कि देश को आंतरिक,
बाहरी या आर्थिक खतरा
हो सकता है तो
वह आपातकाल लागू कर सकता
है.
भारत
के संविधान निर्माताओं ने आपातकाल मसलन
देश की एकता, अखंडता
और सुरक्षा खतरे में होने
जैसी स्थिति को ध्यान में
रखते हुए ये प्रावधान
किया. जिसके तहत देश की
सरकार बिना बेरोकटोक गंभीर
फैसले ले सके.
मान
लीजिए कि हमारे देश
पर कोई पड़ोसी देश
हमला कर दे तो
ऐसी आपात स्थिति में
संविधान भारत सरकार को
अधिक शक्तियां देता है, जिनके
जरिये वो अपने हिसाब
से फैसला ले सकती है.
जबकि आपातकाल ना होने या
सामान्य परिस्थिति में संसद में
बिल पास कराना पड़ेगा
और लोकतंत्र की परंपराओं के
मुताबिक चलना होगा लेकिन
आपातकाल लगने पर सरकार
अपनी तरफ से कोई
भी
आपातकाल के दौरान में क्या-क्या होता है:-
आपातकाल
के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए. सरकार का विरोध करने पर सलाखों के पीछे
डाल दिया गया. सरकार के इस कदम के खिलाफ कोर्ट में जाने का अधिकार भी किसी के पास नहीं
था.
संविधान में तीन तरह के आपातकाल का जिक्र:-
1. राष्ट्रीय
आपातकाल (अनुच्छेद 352) (National
Emergency)
25 जून
1975 की रात को लगा
आपातकाल इसी अनुच्छेद 352 के
तहत लगाया गया. देश में
राष्ट्रीय आपातकाल या नेशनल इमरजेंसी
का ऐलान देश की
सुरक्षा को ध्यान में
रखते हुए किया जाता
है जैसे युद्ध या
बाहरी आक्रमण की स्थिति में.
देश में आपातकाल केंद्रीय
कैबिनेट की सिफारिश पर
राष्ट्रपति द्वारा लागू किया जाता
है. अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल
के दौरान सरकार को असीमित अधिकार
मिलते हैं लेकिन देश
के नागरिकों के वो मौलिक
अधिकार छीन लिए जाते
हैं, जो उन्हें देश
का संविधान ही देता है.
2. राष्ट्रपति
शासन (अनुच्छेद 356) (President's
Rule)
राष्ट्रपति
शासन के बारे में
आपने कई बार सुना
होगा और अब तक
देश के कई राज्य
राष्ट्रपति शासन के गवाह
भी बन चुके हैं.
किसी राज्य में राजनीतिक व्यवस्था
और संवैधानिक व्यवस्था फेल होने पर
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के
तहत राष्ट्रपति आपात स्थिति का
ऐलान करते हैं. यानि
कोई राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम
नहीं कर रही हो
तो इस अनुच्छेद के
तहत राष्ट्रपति उस राज्य में
राष्ट्रपति शासन लगा सकते
हैं, इस स्थिति (राष्ट्रपति
शासन) में राज्य के
सिर्फ न्यायिक कार्यों को छोड़ सभी
राज्य प्रशासन से जुड़े अधिकार
केंद्र के पास आ
जाते हैं.
किसी
राज्य का नियंत्रण एक
निर्वाचित मुख्यमंत्री की बजाय देश
के राष्ट्रपति के अधीन आने
के कारण इसे राष्ट्रपति
शासन कहते हैं. इस
दौरान राज्य के राज्यपाल को
कार्यकारी अधिकार मिलते हैं.
3. आर्थिक
आपातकाल (अनुच्छेद 360) (Economic
Emergency)
देश
के संविधान में आर्थिक आपातकाल
का भी जिक्र है.
अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति
आर्थिक आपातकाल की घोषणा देश
पर मंडरा रहे आर्थिक संकट
के दौरान कर सकते हैं.
हालांकि देश में अब
तक कभी भी आर्थिक
आपातकाल लागू नहीं हुआ
है लेकिन संविधान राष्ट्रपति को ये शक्ति
देता है कि कि
अर्थव्यवस्था चौपट होने की
कगार या सरकार दिवालिया
होने की कगार पर
हो तो अनुच्छेद 360 का
इस्तेमाल किया जा सकता
है. ऐसी स्थिति में
नागिरकों की धन संपत्ति
पर देश का अधिकार
होता है.
अब तक देश में 3 बार लग चुका है आपातकाल:-
1. 26 अक्टूबर
1962: भारत में इंदिरा गांधी
के लगाए गए आपातकाल
को याद किया जाता
है लेकिन देश में पहला
आपातकाल उससे भी 13 साल
पहले तब लगाया गया
था जब भारत और
चीन के बीच युद्ध
हुआ था. यहां पर
युद्ध और देश की
सुरक्षा को ध्यान में
रखते हुए आपातकाल लगाया
गया था. इस पहले
आपातकाल की समाप्ति 10 जनवरी
1968 को हुई.
2. 3 दिसंबर
1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी
देश में आपातकाल लगा
था. युद्ध और देश की
सुरक्षा को ध्यान में
रखते हुए एक बार
फिर देश में इमरजेंसी
लगाई गई थी.
3. 25 जून
1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राज में
लगे इस आपातकाल के
लिए देश में आंतरिक
अशांति का हवाला दिया
जाता है कि लेकिन
इतिहास के पन्नों में
इस एक निजी स्वार्थ
का दर्जा दिया जाता है.
25 जून,
1975 की वो रात, जो
भारतीय इतिहास पर एक स्याह
दाग छोड़ गई. 1975 में
आज ही के दिन
तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर
आपातकाल की घोषणा की
थी. जिसके बाद लोगों के
लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए.
आपातकाल कब लगाया जाता है:-
इसे
विभिन्न समय और स्थितियों
में लागू किया जा
सकता है, जैसे कि
प्राकृतिक आपदाएं, राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित घटनाएं, राजनीतिक उथल-पुथल, सामाजिक
आपत्तियां, और ऐसे अन्य
अवस्थाएं जो त्वरित और
सकारात्मक क्रिया की आवश्यकता पैदा
करती हैं।
आपातकालीन
की स्थिति में समय पर
ठीक से कार्रवाई करना
महत्वपूर्ण होता है ताकि
सुरक्षा और बचाव कार्रवाई
की जा सके और
लोगों की सुरक्षिति बनी
रहे।
भारतीय
संविधान के अनुच्छेद 352 के
तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया जा सकता
है यदि भारत या
उसके क्षेत्र के किसी भी
हिस्से की सुरक्षा को
युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह
से खतरा हो।